*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार
*🎈दिनांक -12अक्टूबर 2025 *
*🎈 दिन - रविवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष - कृष्णपक्ष*
*🎈तिथि- षष्ठी 02:16:13 pm तक तत्पश्चात् सप्तमी*
*🎈 नक्षत्र - मृगशीर्षा 01:35:37 pm तत्पश्चात् आद्रा*
*🎈 योग - वरियान 10:54:06
am तक तत्पश्चात् शिव*
*🎈करण -वणिज 02:16:13
pm तक तत्पश्चात् बव*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 04:42 pm से दोपहर 06:08 pm तक
*🎈चन्द्र राशि- मिथुन*
*🎈सूर्य राशि- कन्या*
*🎈सूर्योदय - 06:34:19am*
*🎈सूर्यास्त -06:08:14pm*
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*🎈चंद्रोदय- 10:32:46pm*
*🎈चंद्रास्त- 12:15:18am*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से प्रातः 05:43 तक
*🎈अभिजित मुहूर्त- 11:58 ए एम से 12:45 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:57 पी एम से 12:47 ए एम, अक्टूबर 13 तक*
*🎈अमृत सिद्धि योग- 02:56 ए एम, अक्टूबर 13 से 04:27 ए एम, अक्टूबर 13*
*🎈 रवि योग 01:36 पी एम से 06:34 ए एम, अक्टूबर 13*
*🎈 व्रत एवं पर्व- षष्ठी व्रत*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 उद्वेग - अशुभ-06:33 ए एम से 08:00 ए एम*
*🎈 चर - सामान्य-08:00 ए एम से 09:27 ए एम*
*🎈 लाभ - उन्नति-09:27 ए एम से 10:54 ए एम*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-10:54 ए एम से 12:21 पी एम वार वेला*
*🎈 काल - हानि-12:21 पी एम से 01:48 पी एम काल वेला*
*🎈 शुभ - उत्तम-01:48 पी एम से 03:15 पी एम*
*🎈 रोग - अमंगल-03:15 पी एम से 04:42 पी एम*
*🎈 उद्वेग - अशुभ-04:42 पी एम से 06:09 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈शुभ - उत्तम-06:09 पी एम से 07:42 पी एम*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-07:42 पी एम से 09:16 पी एम*
*🎈 चर - सामान्य-09:16 पी एम से 10:49 पी एम*
*🎈 रोग - अमंगल-10:49 पी एम से 12:22 ए एम, अक्टूबर 13*
*🎈 काल - हानि-12:22 ए एम से 01:55 ए एम, अक्टूबर 13*
*🎈 लाभ - उन्नति-01:55 ए एम से 03:28 ए एम, अक्टूबर 13 काल रात्रि*
*🎈 उद्वेग - अशुभ-03:28 ए एम से 05:01 ए एम, अक्टूबर 13*
*🎈 शुभ - उत्तम-05:01 ए एम से 06:34 ए एम, अक्टूबर 13*
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🚩*☀#*जय गणेश*☀*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩*
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🍁 *🎈 🦚भगवान शिव की प्राप्ति है संभव🦚
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भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो एक लोटा जल अर्पित करने पर ही प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। यहां भोलेनाथ के ऐसे मंत्र के बारे में बताया गया है जिससे भगवान शिव की प्राप्ति भी संभव है। जानिए कैसे करें भोलेनाथ की पूजा-
भोलेनाथ की पूजा के लिए सबसे पहले शिवलिंग का निर्माण करना होगा। जिसके लिए शमशान की मिट्टी, भस्म, काली गाय का गोबर, दूध व घी, शहद, बिल्वपत्र, धतूरा, फल, स्वेतार्क के फूल, भांग, रूद्राक्ष की माला, लाल वस्त्र लें। जहां शिवलिंग स्थापित करना है उस स्थान को गोबर से लिप कर पवित्र कर लें। स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर मिट्टी, भस्म अौर गोबर में गंगा जल मिलाकर 16 इंच लंबा अौर 5 इंच मोटाई के शिवलिंग का निर्माण करें। भगवान शिव की यह पूजा पूर्णिमा को आरंभ करनी है। ज्योतिष से मुहूर्त निकलवा लें। पूजा में सबसे पहले श्रीगणेश, माता पार्वती अौर अपने गुरु की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लें। उत्तर दिशा की अोर मुख करके पीले आसन पर बैठें अौर कितने जाप करने हैं उसका संकल्प लें। वैसे पूरा विधान 5 लाख जप से होता है।
इसके बाद गुरुमंत्र की चार माला जाप करें। उसके बाद श्रीगणेश की स्थापना सुपारी में कलावा लपेट कर करें अौर पूजन संपन्न करें। अपने दाहिनी अोर भैरव की स्थापना करें। भैरव यंत्र है तो यह बहुत शुभ है यदि नहीं है तो सुपारी का ही उपयोग कर सकते हैं। भगवान भैरव की पूजा सिंदूर अौर लाल फूल से करें। उसके बाद गुड़ का भोग लगाएं। भैरव बाबा के सामने सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। यह दीपक मंत्र जप तक प्रज्वलित रहना चाहिए। अपनी बाई अोर एक घी का दीपक प्रज्वलित करें। यह दीपक भी साधना काल में अखंड प्रज्वलित रहे। अब इस मंत्र का जप करते हुए भगवान शिव की पूजा करें।
ध्यायेन्नितय् महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रावतंसं ,
रत्नाकल्पोज्ज्व्लाङ्ग परशुमृगवराभीति हस्तं प्रसन्नम् !
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैव्याघ्रकृत्तिं वसानं,
विश्ववाध्यम विश्ववध्यम निखिल भयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रं !
ॐ श्री उमामहेश्वराभ्यां नमः आवाहयामि, स्थापयामि पूजयामि !!
पंचामृत, गंगाजल और फूल और नैवेध्य आदि से भोलेनाथ का पूजन करें। पंचमुखी रुद्राक्ष की छोटे दानों वाली माला भोलेनाथ को पहना दें अौर दूसरी माला से जप करें। साधना के बाद यह माला दिव्य हो जाएगी। इसके बाद एक पाठ रुद्राष्टक का करें अौर मंत्र जप की सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। अब अपनी संकल्प शक्तिअनुसार
ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद एक पाठ रुद्राष्टक का अौर दोबारा गुरु मंत्र का करें। पूरा दिन यहीं क्रम करें। मंत्र साधना में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन, भूमिशयन करें। यह एक अघोर साधना है। इसके लिए किसी कुशल गुरु का होना आवश्यक है। यह साधना पूर्णिमा से शुरु कर संकल्प खत्म होने तक करनी हैै। इस साधना का संकल्प सोचकर ले क्योंकि यह क्रम बीच में टूटना नहीं चाहिए*
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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